Sunday, July 3, 2011

फिर एंग्री होने लगे हीरो...!


हाल ही में अपनी फिल्म बुढ्ढा होगा तेरा बाप के प्रचार कार्यक्रम के दौरान अमिताभ बच्चन ने कहा किजो काम आप 25 की उम्र में करते हैं वही काम 70 की उम्र में करना चुनौतीपूर्ण होता है। चाहे वह गाना हो, एक्शन हो या फिर डांस।ज् जवानी में किये गये काम चुनौतीपूर्ण हैं, यह जानते हुए भी अमिताभ बच्चन यह कहते हैं किहम जहां खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है।ज् इसके साथ ही अमिताभ बच्चन अपनी नयी फिल्म में अपने  पुराने और लोकप्रिय एंग्री यंग मैन को दोहराने की कोशिश में उतरे हैं। फिल्म बुढ्ढा होगा तेरा बाप के रिलीज होने से पहले ही इसकी चर्चा शुरू हो चुकी थी कि अभिताभ बच्चन का पर्दे का पुनर्अवतार होने वाला है और वे अपने लोकप्रिय किरदार को दोहराने वाले हैं। यह अलग बात है कि बच्चन की इस फिल्म को डेली वेली के मुकाबले कम रेटिंग मिल रही है। फिर भी अमिताभ बच्चन के प्रशंसकों के लिए बुढ्ढा होगा तेरा बाप एक बेहतरीन मसाला फिल्म है, जिसमें उनकी तीन दशक पुरानी छवि को जबरदस्त तरीके से दोहराया गया है। वास्तव में यह फिल्म ऐसा लगता है कि खास तौर से अमिताभ बच्चन के लिए ही रची-बुनी गयी है। एक 68 साल का बुढ्ढा कैसे इतनी ऊर्जा से भरपूर है यह फिल्म में बरबस ही झलकता है।
एक चीज जो गौर करने लायक है वह यह कि एंग्री यंग मैन की छवि को दोहराने वाले अकेले अमिताभ बच्चन ही नहीं हैं। आज कल अगर अमिताभ बच्चन के अलावा भी कई बड़े एक्टर सिक्स पैक ऐब्स और माचो मैन की ऊर्जा के साथ उतर रहे हैं। अजय देवगन सिंहम में सिक्स पैक ऐब्स और लंबी झुकी हुई मूछों के साथ दमदार रोल में अवतरित हो रहे हैं तो जॉन अब्राहम फोर्स में ऐट पैक ऐब्स में जलवे बिखेरने वाले हैं। शाहरुख खान का कहना है कि उनकी आने वाली फिल्म रा वन और डॉन-2 मर्दाना छवि वाली (माचो) फिल्में हैं। वे कहते हैं कि वे ऐसी फिल्में इसलिए कर रहे हैं कि क्योंकि उनके बच्चे उन्हेंकूल एंड माचो देखना चाहते हैं। फिल्मों में नायक की मर्दाना छवि का पुनरागमन  हुआ है। बॉलीवुड के नायकों में एक गुस्सैल और मर्दाना छवि को फिर से गढ़ा जा रहा है। पिछले साल रिकॉर्ड कमाई करने वाली दबंग और वाँटेड में सलमान खान अपना यह रूप दिखा चुके हैं तो गजनी में आमिर खान ने दर्शकों को खूब लुभाया था। मतलब बॉलीवुड का रुख अब एक्शन की ओर है।  एक्शन से भरपूर इन फिल्मों के हीरो ठीक सत्तर के दशक के हीरो की तरह एक खास छवि में दिख रहे हैं जसा कि जंजीर, दीवार या शोले में हम देख चुके हैं। हालांकि, उस दौर का एंग्री यंग मैन एक अवधारणा के तहत गढ़ा गया ऐसा चरित्र है जो जॉन ऑस्बॉर्न के नाटक लुक बैक इन एंगर (1956) के जिमी पोर्टर से प्रेरित था। वह एक अस्थिर समाज के गढ़ा गया ऐसा चरित्र था जो गरीब जनता की मदद करने के लिए ही जन्म लेता है। वह आपातकाल का सामना कर रहा एक ऐसा समाज था जिसे अपना नायक चाहिए था और लोग उसकी छवि अमिताभ बच्चन अभिनीत किरदारों में देख रहे थे। अमिताभ के परदे पर आते ही थियेटर में बैठे दर्शकों के बीच से तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठती थी। लेकिन इस वक्त रही इन फिल्मों का ऐसा कोई उद्देश्य नहीं है। वे कोरी मसाला फिल्में हैं जो बस दर्शकों को रोमांचित करने के उद्देश्य से बनायी जा रही हैं। आज का दर्शक मल्टीप्लेक्स में पैसे खर्चने को तैयार है और भरपूर रोमांच चाहता है। नये फिल्मकार भी इस बात को समझते हैं और दर्शकों की इस रोमांच की इच्छा को भुनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते।
बॉलीवुड का फोकस आजकल युवाओं की ओर है और युवाओं का मिजाज हमेशा बदलता रहता है। आज का युवा सामाजिक ऊहापोह को अपने ढंग से देखता है। वह 70 के दशक वाली स्थिति में नहीं है और आंदोलनों में वैसा विश्वास नहीं करता। हालांकि, वह परिवर्तनों के लिए अलग ढंग से विचार करना चाहता है। हो सकता है यह आज की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थिति के कारण हो। क्लासिक रोमांस पर वह हंसता है। इसलिए या तो कॉमेडी फिल्में बन रहीं हैं या फिर एक्शन फिल्में।
एक्शन के लौटने से मतलब यह नहीं है कि बीच में ऐसी फिल्में नहीं बन रहीं थीं लेकिन फिलहाल जिस तरह से सभी बड़े कलाकार एक्शन फिल्में कर रहे हैं, वह एक नया प्रयोग है।  

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